Not known Factual Statements About hanuman chalisa
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व्याख्या – श्री रामचन्द्र जी ने हनुमान जी के प्रति अपनी प्रियता की तुलना भरत के प्रति अपनी प्रीति से करके हनुमान जी को विशेष रूप से महिमा–मण्डित किया है। भरत के समान राम का प्रिय कोई नहीं है, क्योंकि समस्त जगतद्वारा आराधित श्री राम स्वयं भरत का जप करते हैं
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥१९॥ दुर्गम काज जगत के जेते ।
दिल्ली के प्रसिद्ध हनुमान बालाजी मंदिर
भावार्थ – भूत–पिशाच आदि आपका ‘महावीर’ नाम सुनते ही (नामोच्चारण करने वाले के) समीप नहीं आते हैं।
भावार्थ – हे नाथ श्री हनुमान जी ! तुलसीदास सदा–सर्वदा के लिये श्री हरि (भगवान् श्री राम) के सेवक है। ऐसा समझकर आप उनके हृदय–भवन में निवास कीजिये।
काँधे मूँज जनेउ साजै ॥५॥ सङ्कर सुवन केसरीनन्दन ।
हिन्दू धर्म में बजरंगबली को को सबसे अधिक पूजनीय देवताओं में से एक माना जाता हैं। हनुमान चालीसा के साथ ही सुंदरकांड, बजरंग बाण और संकट मोचन हनुमानाष्टक का पाठ कर रामभक्त हनुमान को प्रसन्न किया जा सकता है।
व्याख्या – श्री हनुमान चालीसा के पाठ की फलश्रुति इस तथा अगली चौपाई में बतलायी गयी है। संसार में किसी प्रकार के बन्धन से मुक्त होने के लिये प्रतिदिन सौ पाठ तथा दशांशरूप में ग्यारह पाठ, इस प्रकार एक सौ ग्यारह पाठ करना चाहिये। इससे व्यक्ति राघवेन्द्र प्रभु के सामीप्य का लाभ उठाकर अनन्त सुख प्राप्त करता है।
भावार्थ – आपके हाथ में वज्र (वज्र के समान कठोर गदा) और (धर्म का प्रतीक) ध्वजा विराजमान है तथा कंधे पर मूँज का जनेऊ सुशोभित है।
भावार्थ – भगवान् श्री राघवेन्द्र ने आपकी बड़ी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि तुम भाई भरत के समान ही मेरे प्रिय हो ।
भावार्थ – आपने अत्यन्त विशाल और भयानक रूप धारण करके राक्षसों का संहार किया और विविध प्रकार से भगवान् श्री रामचन्द्रजीं के here कार्यों को पूरा किया।
दक्षिण भारत की प्रदिद्ध बाल गायिका सूर्यगायत्री के मुख से हनुमान चालीसा पाठ
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